tag:blogger.com,1999:blog-3211385411126189652.post3801538778122675244..comments2023-10-01T15:26:11.401+05:30Comments on दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका: अपने अस्तित्व के निशान-कविता साहित्यदीपक भारतदीपhttp://www.blogger.com/profile/06331176241165302969noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3211385411126189652.post-45417707743006346742008-02-15T23:01:00.000+05:302008-02-15T23:01:00.000+05:30इच्छाएं कभी मरती नहीं...और ...और फिर और पाने की चा...इच्छाएं कभी मरती नहीं...और ...और फिर और पाने की चाहत पता नहीं कहाँ...किस ओर ले जाएगी....<BR/><BR/>फिर एक दूसरा ख्याल भी उमड़ता है दिल में कि अगर आगे बढने....और खरीदने की इच्छा ही नहीं होगी तो कहीं आदमी काम करना...मेहनत करना ही बन्द ना कर दे...राजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.com