tag:blogger.com,1999:blog-3211385411126189652.post544103319169489371..comments2023-10-01T15:26:11.401+05:30Comments on दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका: असंगठित लेखक के लिये पुरस्कार कहां होते हैं-आलेख (hindi writer and prize-hindi article)दीपक भारतदीपhttp://www.blogger.com/profile/06331176241165302969noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3211385411126189652.post-86571982373781011742010-01-26T09:25:42.350+05:302010-01-26T09:25:42.350+05:30पहली जरूरत है 'लेखकों के इस गैंग' को तोड़न...पहली जरूरत है 'लेखकों के इस गैंग' को तोड़ने की। इसने देश में साहित्य, कला और शिक्षा को बंधक बना लिया है। स्वतंत्र-चिन्तन करने वाले इसमें पिस रहे हैं। गैंग में शामिल न होने वाले अलग-थलग और उपेक्षित रह जाते हैं। गैंग के सदस्य एक-दूसरे की पीठ थपथपाकर आपस में मलाई काटते रहे हैं और साहित्य व कला की ठेकेदारी करते रहते हैं।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.com