आज चीनी उत्पाद के बहिष्कार की मांग या घोषणा करने वाले लोगों का एक जुलूस देखा। जिस तरह भारत में प्रयोग किये जाने वाले मोबाइल, कंप्यूटर तथा अन्य उत्पादों में चीनी सामान की घुसपैठ है उससे देखकर तो यह एक मजाक लगता है। यह ऐसे ही जैसे कोई मधुमेह से ग्रसित आदमी सामने कप में रखी चाय पीने के लिये उसमें से चीनी अलग करने की मांग करे।
हमने देखा है कि अनेक विलासिता के सामान चीन से आयातित हैं। यहां तक कि योग दिवस पर जिस चटाई का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया गया था वह भी चीन मेें बना था। ऐसा लगता है कि इन सामानों के प्रयोग का बहिष्कार का आह्वान करने की किसी में हिम्मत नहीं है इसलिये दिपावली के अवसर पर छोटे और मध्यम व्यापारियों पर दबाव बनाया जा रहा है ताकि कथित देशभक्ति का प्रचार हो सके। हमारा दावा है कि जो यह जूलूस निकाल रहे हैं वह अगर चीनी सामान का बहिष्कार अपने घर से शुरु करें तब पता चले। एक मिनट मोबाईल और टीवी के बिना रहा नहीं जाता चले हैं छोटे दुकानदारों के छोटे सामान पर हमला करने। चीनी सामान का भारत उपभोग रोकना एक बृहद योजना से ही हो सकता है इस तरह जुलूस निकालने का सीधा मतलब यह है कि छोटे और मध्यम व्यवसायियों पर दबाव बनाया जाये ताकि ग्राहक बड़े बड़े मॉलों में चला जाये। हम जानते हैं वहां खड़ी निजी सुरक्षा फौज देखकर ही उनका दम निकल जायेगा।
पिछले कुछ वर्षों से दीपावली पर्व के सार्वजनिक रूप से व्यक्त उत्साह में कमी आयी है। इसका मुख्य कारण मध्यमवर्ग परिवारों सदस्य संख्या सीमित होने के साथ ही आर्थिक संकट भी है। टीवी पर बहसों में अनेक अर्थशास्त्री अनेक बातें कहते हैं पर यह कोई नहीं कहता कि मध्यम वर्ग पर दबाव अधिक है जिसकी वजहा से इस देश में सामाजिक संकट भी पैदा हुआ है। इस वजह से चीनी सामान की बिक्री वैसे ही कम होगी पर कथित संगठन दावा यह करेंगे कि उनके प्रयासों से ही यह हुआ है।