स्वतंत्रता दिवस का सच
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यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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आओ, अपनी स्वतंत्रता दिवस का
जोरदार जश्न मनायें,
अपनी आदतों, जरूरतों और
जिम्मेदारियों के बंधन से
मुक्त रहने का अहसास पायें।
कहें दीपक बापू
भ्रमों के साथ रहती हो जिंदगी
हकीकतों पर भी शक होने लगता है,
कड़वे सच के सोच से डर बढ़ता है,
हाथ पांव बंधे हैं रिवाजों की जंजीर में
जुबान उधार के शब्द बोलती है,
सभी दिन दूसरों के सामने झूठ को सच
और सच को झूठ बताते हैं,
एक दिन अपने को भी बतायें।
जोरदार जश्न मनायें,
अपनी आदतों, जरूरतों और
जिम्मेदारियों के बंधन से
मुक्त रहने का अहसास पायें।
कहें दीपक बापू
भ्रमों के साथ रहती हो जिंदगी
हकीकतों पर भी शक होने लगता है,
कड़वे सच के सोच से डर बढ़ता है,
हाथ पांव बंधे हैं रिवाजों की जंजीर में
जुबान उधार के शब्द बोलती है,
सभी दिन दूसरों के सामने झूठ को सच
और सच को झूठ बताते हैं,
एक दिन अपने को भी बतायें।
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लेखक एवं कवि- दीपक राज कुकरेजा,ग्वालियर
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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