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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Monday, May 26, 2008

अपने हाथ से पहन लेते हैं अपने सिर पर ताज-हिन्दी शायरी

अपने हाथ से अपने ही सिर पर
पहन लेते हैं कोई भी ताज
किससे लिया और कैसे
सवालों के जवाब में रखते राज
मेहनत की राह चलकर
कौन तकलीफें उठाना चाहता
सभी बांधते हैं तारीफों के पुल
एक दूसरे के लिये
जीवन की सफलता का मार्ग
इस पार से उस पार जाकर पाता
सस्ते में बिकने से आता नहीं आदमी बाज
....................................
किसी की तारीफों के पुल बांधने से
सफलता का आसमान मिल गया होता
तो फिर धरती होती आकाश
और आकाश वीरान होता
भला कौन यहां अन्न के लिये बीज बोता
कौन बहाता पसीना
कौन कपड़ा बनता होता
मेहनतकश आसमान में इसलिये नहीं उड़ पाते
क्योंकि तारीफ लायक कोई उनके पास नहीं होता
हर कोई उनके पास खून चूसने के लिए होता
........................................

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