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Sunday, July 26, 2015

सार्वजनिक छवि चमकाने के लिये फांसी का विरोध-हिन्दी चिंत्तन लेख(sarvjanik chhavi chamkane ke liye faansi ke liye virodh-hindi chintta article)


            मुंबई बम धमाकों के एक आरोपी को फांसी की सजा मिले या आजीवन कारावास की इस पर हम कोई निजी राय कायम नहीं कर पाये। इसका कारण यह है कि 22 वर्ष पूर्व हुए उन बमविस्फोटों के भयावह दृश्य हमने अखबारों में देखे थे। उसके बाद गंगा नदी में बहुत पानी बह गया तो हमारी स्मरण शक्ति की धारा में बहुत सारे नये तत्व घुल गये हैं। बहरहाल फांसी की सजा से पहले न्यायालय में एक प्रकरण कई दौर से निकलता है जिसमें सबूतों के आधार पर न्यायाधीश निर्णय देते हैं।  इसमें एक लंबा समय निकल जाता है। इन निर्णयों पर सार्वजनिक रूप से प्रतिकूल टिप्पणी करना अपराध है फिर भी प्रचार माध्यमोें जगह बनाने के लिये अब करने लगे हैं।  मुंबई धमाके के आरोपी की पृष्ठभूमि में कहीं न न कहीं मुंबईया फिल्म से भी जुड़ी है इसलिये अनेक अभिनेता अब जाकर उसे फांसी की सजा न देने की मांग कर रहे हैं।  उनके साथ मुंबई में रहने वाले अनेक  बुद्धिजीवी भी हो गये हैं। एक अभिनेता ने तो बाकायदा उसे बेगुनाह तक बता दिया और जब बवाल मचा तो उसे बयान वापस लिया।
                              हमारी सजा पर कोई राय नहीं है पर जिस तरह का वातावरण बना है उससे हैरान जरूर हैं। अगर वह बेगुनाह तो उसके यह नये हितचिंत्तक न्यायालय में जाकर उसके पक्ष में बोल सकते थे पर न बोले।  फांसी की सजा भी एक दिन में नही होती। पहले न्यायालय सजा देता है फिर वह राष्ट्रपति के पास जाती है।  इस प्रक्रिया के बीच भी इन हितचिंत्तकों के पास अवसर था पर वह अब जाकर चिट्ठी लिख रहे हैं जब राष्ट्रपति दया याचिका खारिज कर चुके हैं। फांसी के करीब पहुंचने के पहले उस आरोपी के हितचिंत्तकों के पास बहुत सार अवसर थे पर वह कुछ करना तो दूर सोचते हुए भी नहीं दिखे।  ऐसे में संदेह उठेंगे।  ऐसा लगता है कि आरोपी के समर्थन के बयान उसकी हित की अपनी सार्वजनिक छवि चमकाने की चिंता में ही दिये जा रहे हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak  'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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