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Thursday, January 3, 2008

जहाँ सतीत्व को खतरा वहाँ साधुत्व क्या बच पायेगा

चेले ने गुरु से कहा
गुरूजी, कल मैं आश्रम से
बाहर निकलकर शहर जाऊंगा
वहाँ कहीं नये साल का जश्न मनाऊँगा
आप तो देते हो पुरातन शिक्षा
मंगवाते हो घर-घर से भिक्षा
अब नवीनतम शिक्षा लेने का विचार आया
शहर से कुछ लोगों का आफर आया
इस बहाने शहर भी देख आऊँगा''

गुरूजी बोले
''तो अन्तिम प्रणाम करता जा
मन हो तो गुरु दक्षिणा भी दे जा
जिन स्थानों पर औरत की अस्मत
अब सुरक्षित नहीं
जायेगा तू वहीं
बहुत हंगामा मचायेगा
जहाँ सतीत्व को ख़तरा हो
वहाँ तेरा साधुत्व भला कहाँ बच पाएगा
जाना है तो जा
तेरे लौटने में मुझे संशय है
इसलिए मैं तेरी जगह
अब कोई नया शिष्य
अपने इस आश्रम में बसाऊंगा
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