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Saturday, January 12, 2008

संत कबीर वाणी:सकाम भक्ति निष्फल होती है

कबीर कलिजुग आइ करि, कीये बहुत जो भीत
जिन दिल बांध्या एक सूं, ते सुखु सोवे निचींत


संत कबीर दास जी कहते हैं की कलियुग में आकर हमने बहुतों को मित्र बनाया पर जिन्होंने अपने दिल को एक से ही बाँध लिया, वे ही निश्च्नंत सुख के नींद सो सकते हैं.

जब लगा भगहित सकामता, तब लगा निर्फल सेव
कहै 'कबीर' वै क्यूं मिलै, निहकामी निज देव

संत कबीर दास जी कहते हैं कि भक्ति जब तक सकाम है, भगवान की सारी सेवा तब तक निष्फल ही है. निश्कामी देव से सकामे साधक की भेंट कैसे हो सकती है.

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