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Sunday, June 22, 2008

हमारी जिन्दगी में आये वह हवा बनकर-हिन्दी शायरी



हमारी जिंदगी में आये वह हवा बनकर
इसलिये छोड़ जायेंगे कभी
इसका तो अनुमान था
पर छोड़ जायेंगे अपने पीछे
एक बहुत बड़ा तूफान
हमारे लड़ने के लिये
इसका गुमान न था

आये थे तो वह आहिस्ता आहिस्ता
कदम अपने बढ़ाते हुए
अपनी कमर मटकाते हुए
हमें देख रहे थे आंखें नचाते हुए
कुछ पल के साथ में लगा कि
कि वह उम्र भर नहीं जायेंगे
सदा पास रह जायेंगे
पर अपना काम निकलते ही
जो उन्होंने अपना मूंह फेरा
जिंदगी घिर गयी झंझावतों में
जिसका कभी पूर्वानुमान न था
..................................................
दीपक भारतदीप

3 comments:

Anonymous said...

कुछ पल के साथ में लगा कि
कि वह उम्र भर नहीं जायेंगे
सदा पास रह जायेंगे
bhut khub.sundar rachana.likhate rhe.

Alpana Verma said...

जिंदगी घिर गयी झंझावतों में
जिसका कभी पूर्वानुमान न था
achcha likha hai

aap ki kavita jo meri rachna ke uttar mein thi-bhi bahut pasand aayee..dhnywaad :)

Udan Tashtari said...

पर अपना काम निकलते ही
जो उन्होंने अपना मूंह फेरा
जिंदगी घिर गयी झंझावतों में
जिसका कभी पूर्वानुमान न था

--बहुत सही.

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