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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Friday, July 4, 2008

चिराग की रौशनी और उम्मीद-हिंदी शायरी

शाम होते ही
सूरज के डूबने के बाद
काली घटा घिर आयी
चारों तरफ अंधेरे की चादर फैलने लगी थी
मन उदास था बहुत
घर पहुंचते हुए
छोटे चिराग ने दिया
थोड़ी रौशनी देकर दिल को तसल्ली का अहसास
जिंदगी से लड़ने की उम्मीद अब जगने लगी थी
.........................................
दीपक भारतदीप

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