सभी लोग मिलकर नाचें और गाये
हम कितने गंभीर हैं दुनियां को बतायें
आओ, देश की भुखमरी मिटाने के लिये
सभी लोग मिल नाचें और गायें
कितना दर्द हैं हमारे अंदर
पूरी दुनियां को बतायें
आओ, निराश्रितों को आश्रय देने के लिये
सभी लोग मिलकर नाचे और गायें
कितने दयालू हैं, सारी दुनियां को समझायें
आओ, देश की नारियों को सम्मान देने के लिये
सभी लोग मिलकर नाचें और गायें
अपने अंदर का स्वाभिमान दुनियां को दिखायें
आओ, पर्यावरण की रक्षा करने के लिये
सभी लोग मिलकर नाचें और गायें
अपनी फिक्र से दुनियां के अवगत करायें
याद रखें
सभी लोगों से आशय है कि
फिल्म अभिनेता, पर्दे के मसखरे और
प्रसिद्ध हस्तियां जिनकी
जमाना कद्र करता हो
वही आमंत्रित हैं, नाचने और गाने के लिये
बाकी केवल पर्दे के सामने बैठ जायें
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दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका पर लिख गया यह पाठ मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसके कहीं अन्य प्रकाश की अनुमति नहीं है।
कवि एंव संपादक-दीपक भारतदीप
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1 comment:
बहुत बढिया दीपक जी!!! बहुत बढिया व्यंग्य रचना है।वास्तव में आज यही सब तो हो रहा है।बहुत अच्छि लगी रचना।
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