ऊंची आवाज में बतियाते
पांव उठाता सीना तानकर
आंखों से बहती कुटिल मुस्कराहट
वह अभिमान से चला जा रहा है।
लोगों ने बताया
‘अपनी बेईमानी से कभी लाचार
वह भाग रहा था जमाने से
गिड़गिड़ाता तथा छोटे इंसानों के सामने भी
अब मिल गया है उसे लोगों के भला करने का काम
उसकी कमाई से उसका कद बढ़ता जा रहा है।
कवि लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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