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Friday, October 7, 2011

सब्जी और चंदा-हिन्दी हास्य कविता (sabji aur chanda-hindi hasya kavita)

समाज सेवक की पत्नी ने कहा
‘‘सुनते हो जी!
आज नौकर छुट्टी पर गया है
तुम थैला लेकर जाओ,
उसमें
आलू , टमाटर और धनिया
खरीद कर लाना
जब घर वापस आओ।’’
समाज सेवक ने कहा
‘‘अभी तक तुम्हारे मस्तिष्क का विकास हुआ नहीं है,
घर पर खाना जरूरी है क्या
मेरे साथ चलो जहां में जा रहा हूं
खाने का होटल भी वहीं है,
अगर किसी ने देख लिया
थैले में हम सब्जी भर भरने लगे हैं,
तब दानदाता भी
हमारे थैले में पैसे की जगह

 आलू  और टमाटर भरने लगेंगे
छवि के दम पर चल रहा है अपना धंधा
वरना कौन लोग अपने सगे हैं,
नौकर एक दिन की छुट्टी पर गया है
तुम हमें हमेशा के लिये
समाज के धंधे से रिटायर न कराओ।’’
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कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak  'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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