यह कहना कठिन है कि ताइवान में आखिर इस लेखक के दो ब्लाग स्पाट पर बने हिन्दी ब्लाग आखिर कैसे पढ़े जा रहे हैं? वैसे यह पता नहीं कि इन दो ब्लाग पर गूगल सर्च इंजिन की क्यों कृपा हुई है कि वह ब्लाग स्पाट के इन दो ब्लाग को कुछ अधिक ही समर्थन दे रहा है। वैसे तो यह कहा जाये कि सर्च इंजिनों में कोई भी ब्लाग कहीं भी पहुंच सकता है और जरूर नहीं कि उसे खोलने वाला पाठक उसे पढ़े। मगर जब निरंतर टिप्पणियां आती हैं तब यह सवाल उठता है कि आखिर उनका उद्देश्य क्या है?
पहले दिन तो इन दोनों ब्लाग पर करीब तीस करीब टिप्पणियां एकसाथ आईं। चीनी भाषा में टिप्पणियां थीं पर उनके अक्षरों पर कर्सर ले जाने पर यह आभास होता था कि उनके पीछे वेबसाईटें हैं। इस लेखक ने उनको खोलकर देखा तो रंगीन किस्म की वेबसाईटें दिखाईं दी। यह दोनों ब्लाग माडरेशन से मुक्त थे इसलिये सभी तीस टिप्पणियों को हटाने के लिये मेहनत करनी पड़ी। टिप्पणियां एक क्रम में नहंी थी जिसका आशय यह था कि टिप्पणीकर्ता ने पाठों के चयन के आधार पर टिप्पणियां की है। वेबसाईटों की संख्या बहुत थी। उनका रंगीन विषय देखकर उन्हें हटा देने के साथ ही ब्लाग पर माडरेशन लगा दिया गया। इसके बावजूद टिप्पणियों के आने का क्रम जारी रहा। यह टिप्पणियां इस ब्लाग लेखक को प्रेरणा देने या पाठकों को पाठ के विषय में अतिरिक्त सामग्री देने की बजाय अपनी वेबसाईटों के प्रचार के लिये लिखी गयी लगती हैं। इसके बाद अनेक टिप्पणियों को हटाया जाता रहा। मगर लिखने वाला बाज नहीं आ रहा है। टिप्पणीकर्ता ने सोचा होगा कि हिन्दी का ब्लाग लेखक है और चीनी भाषा नहीं समझता तो उसने सबसे पहले अंग्रेजी शब्द लिखे ‘आई लव यू’। उसके बाद चीनी भाषा में कुछ शब्द थे। कर्सर रखते ही यह पता तो लगा कि इनके पीछे भी रंगीन विषय वाले फोटो हैं पर यह जानने के लिये आखिर उनका हिंदी अनुवाद क्या है, अनुवाद टूलों में उनको लिया गया।
चीनी भाषा में शब्द इस प्रकार थे।
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गूगल के अनुवाद टूल से इस तरह हिन्दी में दिखा।
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दरअसल आई लव यू शब्द ने इस लेखक को आकर्षित किया था। अंग्रेजी के इस शब्द के उपयोग की अपनी महिमा है। वैसे चीन और ताईवान के लोग अपनी भाषा के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं। भारत में हम लोग लापरवाही दिखाते हुए अंग्रेजी पर लट्टू होते हैं पर इसका एक लाभ है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संपर्क करने में कठिनाई कम आती है। पूर्व के लोगों को इस समस्या से दो चार होना पड़ता होगा। हालांकि अनुवाद टूलों ने ब्लाग जगत को एक ही मंच बना दिया है। जिस तरह चीनी भाषा से हिन्दी में अनुवाद हुआ अगर ऐसा ही हिन्दी से चीनी में हो रहा होगा तो यकीनन उसे पढ़कर समझा तो जा सकता है। टिप्पणियों का क्रम पाठों के क्रम में न होने का कारण यह है कि उस ताईवानी टिप्पणीकर्ता ने केवल कविताओं पर ही अपनी बात रखी है। अनुवाद टूलों से यह तो लग रहा है कि गद्य की बजाय पद्य रचनाओं का अनुवाद कुछ अधिक सहज और शुद्ध होता है-यह भी संभव है छोटी होने के कारण उनको सहजता से पढ़ा जा सकता है।
टिप्पणीकर्ता पाठ पढ़कर कुछ भी टिप्पणी कर अनुग्रहीत करना चाहता है या उसका उद्देश्य ही अपनी वेबसाईटों का प्रचार करना है। कहीं ताईवान या चीन में ऐसा रिवाज तो नहीं है कि टिप्पणी लिखते हुए कुछ रंगीन वेबसाईटें पते के रूप में लिखा जाती हों-यह कहना कठिन है। ताईवान के उस टिप्पणीकर्ता ने कम से कम डेढ़ सौ टिप्पणियां की होंगी मगर उसकी वेबसाईटों की वजह से उसको जगह नहीं मिली। यह दोनों ब्लाग स्पाट के हैं जहां पाठक और टिप्पणियां कम ही आती हैं इसलिये उन पर ध्यान देना आसान रहता है। जबकि वर्डप्रेस के ब्लाग पर पाठकों की संख्या इतनी अधिक रहती है कि इस तरफ ध्यान से देखना कठिन है। वहां अन्य भाषाओं में टिप्पणियां आती हैं पर चीनी भाषा में कभी नहीं मिली।
दरअसल विश्व के पूर्वी हिस्से से हमारा भाषाई संपर्क सतत इसलिये भी कठिन है क्योंकि वहां अंग्रेजी को इतनी तवज्जो नहंी दी जाती। विदेशों में पश्चिम में जितने हिन्दी ब्लाग पढ़ते देखे हैं उतने पूर्व दिशा में नहीं। ऐसे में इंटरनेट पर अनुवाद टूलों से ही विचार और संवाद की प्रक्रिया प्रारंभ हो सकती है। अलबत्ता कम से कम अंग्रेजी की वैश्किता शायद ‘आई लव यू’ के कारण ही बनी हुई है। ताईवानी टिप्पणीकर्ता ने शायद इसलिये ही उसका इस्तेमाल किया कि इस ब्लाग लेखक को यह तो समझ में जरूर आयेगा। मगर उसके साथ दोस्ताना संपर्क में उनकी वेबसाईटें ही बाधक होंगी। अब यह कहना कठिन है कि वह कोई महिला ब्लाग लेखक है या पुरुष! एक ही आदमी टिप्पणी कर रहा है या अनेक लोग हैं। पर यह दिलचस्प है कि विश्व में भाषा और लिपि की दीवारें टूट रही हैं-अंग्रेजी ब्लाग के एक हिन्दी लेखक के एक पाठ पर यह टिप्पणी बहुत पहले की थी जो धीमी गति से ही सही साबित होती जा रही है।
कवि लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका पर लिख गया यह पाठ मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसके कहीं अन्य प्रकाश की अनुमति नहीं है।
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