समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Friday, December 4, 2009

पर्यावरण पर नाटकबाजी से काम नहीं चलेगा-आलेख (Environmental drama will not work -hindi Articles)

यह आश्चर्य की बात है कि सारे संसार में आधुनिक साधनों से पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले देश ही उसकी सुरक्षा की बात कर रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस समय विश्व में जिस तरह तापमान बढ़ रहा है उससे मौसम में आया परिवर्तन इस धरती के जीवों के लिये खतरनाक है पर इसको लेकर किसी भी व्यक्ति या देश द्वारा अपनी यह कहकर अपनी शक्ति का यह प्रदर्शन करना ठीक नहीं है कि वह इसके लिये चिंतित है। केवल चिंता करना ही उनकी योग्यता का प्रमाण नहीं हो सकता। अगर किसी को अपनी चिंता की वास्तविकता सािबत करनी है तो उसे पहले अपने कृत्य से साबित करना भी होगा वरना उसे धूर्त ही समझा जायेगा। इस समय विश्व के कुछ विकसित देश अपने आपको दुनियां का सबसे बड़ा खैर ख्वाह समझ रहे हैं पर सच तो यह है कि वही इस देश का पर्यावरण बिगाड़ने के लिये जिम्मेदार हैं। सब जानते हैं कि ओजोन परत में छेद के बढ़ते जाने की वजह से हो रहा है और उसके लिये प्रथ्वी पर उपयोग में आने वाली गैस जिम्मेदार है।
यह प्रदूषण एक दिन में नहीं हुआ और न ही किसी एक गैस से हुआ है। कभी कहा जाता है कि एशिया के देश खाने की गैस का उपयोग करते हैं इसलिये यह गर्मी बढ़ रही है तो कभी अमेरिका की कंपनियों पर भी ऐसे ही आरोप लगते हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि गैसों का अधिक उपयोग खतरनाक है पर इसके लिये किसी एक देश या महाद्वीप का जिम्मेदारी ठहराना ठीक नहीं है।
इस चर्चा में परमाणु ऊर्जा के उपयोग तथा उसके बमों का परीक्षण करने की चर्चा बिल्कुल नहीं आती जबकि अमेरिका और चीन ऐसे पता नहीं कितने प्रयोग समंदर और जमीन में कर चुके हैं। उससे जमीन को कितनी क्षति पहुंची और उससे कितनी गैस का विसर्जन हुआ इसका अनुमान कोई नहीं देता। इन दोनों देशों की मानसिकता ही साम्राज्यवादी है। इतना ही नहीं दोनों ही हथियारों के लिये अपना बाजार भी ढूंढते हैं। चीन ने ही पाकिस्तान को परमाणु संपन्न राष्ट्र बनने के लिये मदद की है। इन दोनों ने देशों ने परमाणु विस्फोटों से धरती को कितनी क्षति पहुुंचाई है इसका आंकलन जरूर किया जाना चाहिये। गैसों का उत्सर्जन कोई होने से कोई एक दिन में में पर्यावरण प्रदूषित नहीं हुआ। गैस कोई प्रकाश की गति से नहीं फैलती बल्कि इसके लिये पिछले कई वर्षों से मानवीय लापरवाही का यह नतीजा है। भारत जहां इस मामले में पूरी तरह ईमानदारी दिखा रहा है वहीं चीन और अमेरिका इसके लिये दिखावा अधिक करते हैं। भारत ने परमाणु परीक्षण भी इतने नहीं किये जितने इन देशों ने किये हैं। हालांकि चीन और रूस ने भारत द्वारा 25 प्रतिशत गैस उत्सर्जन कम किये जाने के प्रयास को सराहा है पर सवाल यह है कि यह दोनों देश स्वयं क्या करने जा रहे हैं और जो वादा कर रहे हैं उसे क्या निभायेंगे?
हमारे कहने का केवल यही आशय यह है कि पर्यावरण को राजनीतिक विषय न समझें बल्कि इस पर ईमानदारी से काम करें। विश्व भर में विकास के दावे तो बहुत किये जाते हैं पर साथ ही चल रहे विनाश की अनदेखी नहीं की जा सकती। इस पर अमेरिका तथा अन्य राष्ट्र ईमानदारी से सोचें। खाली नाटकबाजी से कुछ नहीं होने वाला है।
कवि लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
------------------------

दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका पर लिख गया यह पाठ मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसके कहीं अन्य प्रकाश की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका

No comments:

यह रचनाएँ जरूर पढ़ें

Related Posts with Thumbnails

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

यह रचनाएँ जरूर पढ़ें

Related Posts with Thumbnails

विशिष्ट पत्रिकाएँ