जिन्होंने राजा राम को भजा
वह वज़ीर हो गये,
जिन्होंने बनवास और त्यागी रूप का किया बखान
वह भी बड़े फकीर हो गये,
जिन्होंने बेचा बीच बाज़ार नाम
वह भी अमीर हो गये,
मगर जिन्होंने भजा नाम दिल से
रहे उनके हमेशा अपने बनकर राम
मतलब निकालने वाले
क्या पहचानेंगे उनको
दौलत और शौहरत की छांह में
उनके ज़मीर सो गये।
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अयोध्या में राम मंदिर
बनेगा या नहीं इस पर
बरसों तक बहस चली है,
हृदय की आस्था
बाहर दिखाने के भी फायदे हैं
बना दिया राम जन्मभूमि को
शतरंज की बिसात
प्यादे भी बन गये वज़ीर
ऐसी शानदार चाल चली है।
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राम से भी बड़ा है राम का नाम
यह अब सभी को पता चला है,
दिल में न भी हो
पर बस यूं ही लेते रहे जो राम का नाम
उनके घर पर घी का चिराग जला है।
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राम का नाम लेते लेते
कई प्यादे भी वज़ीर हो गये,
बनवासी राम को भजता कौन
राजा राम की गाते गाते
राजाओं जैसे आज के फकीर हो गये।
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कवि लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका पर लिख गया यह पाठ मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसके कहीं अन्य प्रकाश की अनुमति नहीं है।हिन्दी साहित्य,समाज,मनोरंजन,अयोध्या की रामजन्मभूमि,ayodhya men ram mandir,hindi literature,ayodhya mein ram mandir,ramlala,babri maszid,ayodhya mein ram, ayodhya men ram mandir,janmabhoomi,ayodhya men ram janmabhoomi,ayodhya men ram janambhoomi,ayodhya mein ramjanambhoomi,अयोध्या में रामजन्मभूमि
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1 comment:
अच्छी रचनाएं !!
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