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Friday, December 3, 2010

नाम में वाकई कुछ नहीं रखा है-हिन्दी कवितायें (naam men khuchh nahin rakha hai-hindi kavitaen)

आदर्श होने का दावा
बाहर से लगता है
मगर उसके अंदर छिपे ढेर सारे दाग हैं,
रावण और कंस जैसे
नाम रखकर कोई कातिल बने
यह जरूरी नहीं है
देवताओं का मुखौटा लगाकर
उजाड़े कई लोगों ने बहुत सारे बाग हैं।
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नाम में वाकई कुछ नहीं रखा है,
दैत्यों ने भी कलियुग का अमृत चखा है,
अब उनको मरने का डर नहीं लगता
देवताओं के मुखौटे पहने लोग अब उनके सखा है।
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कवि लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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