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Wednesday, July 1, 2009

अमर प्यार-हास्य कविता (hasya kavita)

प्यार में जो मर गये
उनके गीत क्यों गाते हो
जो जिंदगी न दे सके
उस प्यार की पहचान क्यों बनाते हो।
किसी शरीर की चाहत
हवस ही होती है
रूह की रूह से हो जाये मुलाकात
उस प्यार के रास्ते क्यों नहीं जाते हो।
जो प्यार इबादत है सर्वशक्तिमान की
हर उम्र और समय जिंदा रहता है
तुम जवानी की दहलीज पर खड़े
जिस्मानी प्यार से आगे क्यों नहीं बढ़ पाते हो।
कहानी खत्म हो जाये जिस्म के साथ
उस प्यार को अमर क्यों बताते हो।

..........................
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