पाना है हर शय, कुछ खोना नहीं है।
पूरी जिंदगी का मजा जल्दी लेने के आदी लोग
आज कर, अभी कर की सोच के साथ
पल में प्रलय से इतना डरे हैं
कि खतरे देख नहीं पाते
क्योंकि अपनी ही जिंदगी उनको
ढोना नहीं है।
....................
आज के जमाने में शैतान भी
सजकर सामने आयेगा।
मनोरंजन में नयेपन की
चाहत में भाग रहे लोगों को
फरिश्ता नजर आयेगा।
इंसान की बढ़ती चाहत
अक्ल पर डाल देती है पर्दा
पीछे का सच किसे नहीं पता चल पायेगा।
..........................
दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका पर लिख गया यह पाठ मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसके कहीं अन्य प्रकाश की अनुमति नहीं है।
कवि एंव संपादक-दीपक भारतदीप
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका
लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
1 comment:
बहुत सुन्दर रचना.....बहुत-बहुत बधाई...
Post a Comment