लड़की से पूछा
‘‘क्या तुम्हें खाना पकाना
सिलाई कढ़ाई, बुनाई तथा
घर गृहस्थी का काम करना आता है।’’
पहले शर्माते
फिर लड़के से आंख मिलाते हुए
लड़की बोली
‘हां, सब आता है।
पर आप यह भी बताईये
क्या आपको घर गृहस्थी चलाने लायक
कमाना भी आता है।
मैं खाना पकाने के लिये
परंपरागत सामान नहीं उपयोग करती
चाहिये उसके लिए इलेक्ट्रोनिक सामान,
कढ़ाई के लिये ढेर सारे कपड़े
सिलाई, बुनाई और कढ़ाई की
कंप्यूटरीकृत मशीनें भी लाना होंगी
जिस पर करूंगी मैं यह सब काम
तभी होगा मुझे जिंदगी में इत्मीनान,
साथ में अपना मोबाईल, लैपटाप और
खुद के कमरे में अलग से टीवी हो
तभी मुझे मजा आता है।
अगर यह सब न कर सकें इंतजाम
तो कह जाईये कि ‘लड़की पसंद नहीं आई’
जो भी लड़का मुझे देखने आता
यही सवाल करता है
मेरा जवाब सुनकर यही कह जाता है।’’
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दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका पर लिख गया यह पाठ मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसके कहीं अन्य प्रकाश की अनुमति नहीं है।
कवि एंव संपादक-दीपक भारतदीप
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लेखक संपादक-दीपक भारतदीप
2 comments:
NAMASKAR JI
AAPKE BLOG MEIN AKSHAR NAHI SAPASHAT HO RAHE JABKI SABHI KE HO RAHE.
SHAYAD HAMARE MEIN PADHNE KI UTNI YOGYATA NAHI HOGI JITNI AAP SOCHTO HO.
KASHAT KARNA YADI KUCHH DEVNAGRI MEIN BAN SAKE.
,बढिया जवाब है।,
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