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Friday, July 16, 2010

हास्य कविताएँ -जैसे मस्ती ही उनका ईमान हो(jaise masti hee unka iman ho-hasya vyanyga kavitaen)

मतलब निकल जाये तो
दोस्त भी आंख फेर लेते हैं,
बात अगर पैसे की हो तो
वफादारी दांव पर धर देते हैं।
खुशफहमी है उनकी कि
हमने उन पर कभी भरोसा किया,
हालातों से मजबूर इंसान
कुछ भी कर सकता है
यह सच हमने भी जान लिया,
इसलिये गद्दारी को भी
हंस कर अपने पर लेते हैं।
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खूब वफा के उन्होंने वादे किये
मौका आया तो अपनी
बिचारगी जता दी
जैसे कोई बेबस इंसान हो।
हमने जो मुंह फेरा वहां से
मस्त हो गये वह अपनी महफिल में
जैसे मस्ती ही उनका ईमान हो।
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कवि लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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