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क्रिकेट में भ्रष्टाचार नहीं है,
फिक्सिंग को जुआ कहना
कतई शिष्टाचार नहीं है।
कहें दीपक बापू
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के खैरख्वाह
बल्ला हाथ में लिये गेंद खेल रहे हैं,
बाज़ार सौदागरों से के इशारे पर
देश के मसलों पर नारे लगाकर
ज़माने मे रुतवे पेल रहे हैं
सुना है क्रिकेट मैच में हर बॉल होती है फिक्स,
कभी कभी चौके से भी सस्ता हो जाता है सिक्स,
अगर क्रिकेट देखना छोड़ दें देश के लोग
भागने लगेगा यहां से बेईमानी का रोग,
न विज्ञापन दिखेंगे,
न सस्ते उत्पाद महंगे बिकेंगे,
शराब के सौदागर
खेल का बाज़ार लगा रहे हैं,
मनोरंजन के नाम पर हवस जगा रहे हैं,
आम इंसानों ने अपना दिमाग दे दिया है
बेईमानों के हाथ,
उम्मीद जोड़े हैं कुसंतों के साथ,
दो नंबर के धंधे की चाहत सभी को है
फिर कहते हैं कि भ्रष्टाचार यहीं है।
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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