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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Friday, June 20, 2014

दौलत के भूखे खूनखराबा कराते-हिन्दी व्यंग्य कविता(daulat ke bhookhe khoonkhraba karate-hidi vyangya kavita)



हाथ में हथियार लेकर निकले हैं लोग करने जंग,
मुद्दे का तानाबाना बुनकर चुन लेते झंडे का कोई भी रंग।
खूनखराबे करने पर उतारू हैं वह नहीं सुनते अपील,
निर्दोष इंसानों को मारकर अपनी बहादुरी की देते दलील।
वैसे भी हथियार अपनी आंख से काम नहीं करते,
जिनके हाथ में उनमें ही खौफ और डर भरते,
जिनके पेट पाप की रोटी से भरे हैं,
इंसानियत के नाम पर उनके दिल दया से परे हैं।
दौलत के भूखे वह लोग  रोज खूनखराबे के नये पैतरे अपनाते,
सर्वशक्तिमान के लिये काम करने का दावा वही जताते।
कहें दीपक बापू धरती पर इंसाफ लाने के करते जो पाखंड
निहत्थों की जान लेते मासूमों करते बुरी तरह जलील।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak  'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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Sunday, June 8, 2014

मौन की ताकत-तीन हिन्दी क्षणिकायें(maun ki taqat-three short hindi poem's)



जब इंसान की जुबान न बोले तब मौन बोलता है,
समझेगा वही जो आंखों के इशारों को तौलता है।
कहें दीपक जब शब्द नहीं मिलते किन्हीं हालातों में
चेहरे का उतार चढ़ाव दिल के राज खोलता है।
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अपनी हालातों से भागते लोग बेकार शब्द बरसाते हैं,
मजाक में बोलते  अनर्गल फिर उस पर पछताते हैं।
कहें दीपक बापू मौन की ताकत जो लोग जानते
किफायत से खर्च कर अपना शब्द भंडार बचाते हैं।
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चीखने वाले लोग चालाकों के शब्द जाल में फंसते हैं,
अपना दर्द दिखाने वालों पर लोग यूं ही हंसते हैं।
कहें दीपक बापू हमदर्दी कोई भीख में नहीं देता
गम का इलाज मौन है लोग भीड़ में दवा के लिये धंसते हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
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