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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Monday, December 23, 2013

आम इंसान की मजबूरी-हिन्दी व्यंग्य कविता (aam insan ki mazboori-hindi vyangya kavita)




पर्दे पर कई चेहरे रोज आते हैं,
अपनी जुबान से कुछ करते
जन कल्याण का दावा
कुछ भ्रष्टाचार का राजफाश करने आते हैं।
कहें दीपक बापू
वोट कमाने के लिये
नोटों का होना जरूरी है,
शिखर पर जो बैठ गया
इसलिये बनाता गरीब से दूरी है,
पुराने चेहरे बासी जब हो जाते,
सौदागर कोई नया चेहरा फिर सजाते,
वादे करते करते जमाना गुजर गया
मगर देश बदहाल रहा,
नाम लिया सभी ने जनसेवा का
गरीब हमेशा बेहाल रहा,
आम इंसानों की टूटती एक से आस
मजबूरी में नये चेहरे के कंधे पर
अपनी उम्मीद का आकाश टिकाते हैं।
------------


लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak  'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
-------------------------
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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Thursday, December 5, 2013

अमन का सौदा-हिन्दी कवितायें (aman ka sauda-hindi poem's)



पर्दे के पीछे शोर का जो इंतजाम कर पाते,
शहर में अमन का पैगाम वही बेचने आते हैं,
अपने  मतलब के लिये सजाते जो बड़ी महफिलें
वही आम इंसानों की भलाई के ठेके ले  पाते हैं।
कहें दीपक बापू सभी हैं यहां दौलत के पुजारी
खून खराबा और भलाई सौदा लेकर ही किये जाते हैं।
....................
सुनते हैं विकास बहुत हुआ
मगर कहीं वह दिखता नहंी है,
कहीं चमकदार दीवारें छत के इंतजार में हैं
मगर उस पर कोई खूबसूरत इबारत लिखता नहीं है।
तस्वीरों में भूखे पेट से झांक रही पथरायी आंखें
शायद उन  पर कोई रंग टिकता नहीं है।
कहें दीपक बापू आंकड़ों  के खेल है में जादू है
अन्न का ढेर लगा पर भूख के लिये बिकता नहीं है।
--------------


लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
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