समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Saturday, May 30, 2015

कमीशन की आग-हिन्दी क्षणिकायें(fire of commision-hindi poem)

कागज पर नक़्शे में  था
पर तालाब बनाया नहीं,
कमीशन की आग में
जल गया प्यास बुझाने का सपना
इसलिये हिसाब का
कागज  बनाया नहीं।
------------

कमीशन के आग में
सड़कें जल रहीं हैं
इसलिये ही गर्मी में पिघल रही हैं।
-------

यकीन करो
सभी के सपने
कभी तो पूरे हो जायेंगे,
कमीशन की आग में
चावल के दाने पककर
तारों की तरह
आखों को बहलायेंगे।
--------------------------
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak  'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
-------------------------
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.शब्दयोग सारथी पत्रिका 

५.हिन्दी एक्सप्रेस पत्रिका

Sunday, May 24, 2015

देसी सोच में विदेशी तड़का-हिन्दी कविता(disi soch mein videshi tadka-hindi poem)

वातानुकूलित कक्ष में
टेबलों पर माईक के सामने
कुछ सूरते सजी हैं।

शौचालयों और शिवालयों के
महत्व पर चर्चा होगी
सभी के दिमाग में
तर्कों की घंटियां बजी हैं।

कहें दीपक बापू देसी सोच में
लगेगा विदेशी तड़का
पेशेवर दिमागों ने लिया
समाज बदलने का ठेका
जिन्होंने अभी तक
विदेशी विकास की तस्वीर भजी हैं।
-----------------------------
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak  'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
-------------------------
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.शब्दयोग सारथी पत्रिका 

५.हिन्दी एक्सप्रेस पत्रिका

Sunday, May 17, 2015

दौलतमंद का हिसाब-हिन्दी कविता(daulatmand ka hisab-hindi poem)

आकाश में उड़ते हुए
सभी को धरती
हरी दिखाई देती है।

वातानुकूलित कक्षों में
हिसाब करने वालों को
सभी की तिजोरी
भरी दिखाई देती है।

कहें दीपक बापू सवारी करते
जो दौलत और शौहरत के रथ से
सड़क पर विचरते हर राहगीर के
बागी होने की सोच में
उनकी नीयत
डरी दिखाई देती है
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak  'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
-------------------------
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.शब्दयोग सारथी पत्रिका 

५.हिन्दी एक्सप्रेस पत्रिका

Sunday, May 10, 2015

राजमार्ग पर कौन त्यागी होता-हिन्दी कविता(rajmarg par kaun tyagi hot-hindi poem)


राजपद पर विराजे इंसान
अपनी प्रतिष्ठा के मद में
बह जाते हैं।

सवालों के जवाब में
विनम्र शब्द भी चेतावनी की
भाषा में कह जाते हैं।

कहें दीपक बापू अहंकार
पेशेवर सन्यासियों में भी होता है,
राजमार्ग पर विचरता
भला कौन त्यागी होता,
आम इंसान से प्यार दिखाओ
या जतलाओ गुस्सा
सब सह जाते हैं।
------------
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak  'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
-------------------------
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.शब्दयोग सारथी पत्रिका 

५.हिन्दी एक्सप्रेस पत्रिका

Monday, May 4, 2015

सिक्कों की खनक गरीब का दर्द-हिन्दी कविता(sikkon ki khanak garib ka dard-hindi poem)


चालाकियों से कामयाब लोग
अक्ल से भी अमीर
कहलाते हैं।

नहीं जानते कोई तरीका
सिक्कों की खनक से ही
वह अपना दिल
बहलाते हैं।

कहें दीपक बापू ताजमहल से
अधिक भव्य महल बन गये हैं,
अमीर शाह की तरह तन गये हैं,
नहीं निकालते जेब से
एक भी सिक्का
खाली बातों से गरीब का दर्द
सहलाते हैं।
--------------
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak  'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
-------------------------
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.शब्दयोग सारथी पत्रिका 

५.हिन्दी एक्सप्रेस पत्रिका

यह रचनाएँ जरूर पढ़ें

Related Posts with Thumbnails

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

यह रचनाएँ जरूर पढ़ें

Related Posts with Thumbnails

विशिष्ट पत्रिकाएँ