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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Wednesday, December 30, 2015

स्मरण शक्ति-हिन्दी कविता(Smaran Shakti-Hindi Kavita)


जिंदगी के संघर्ष में
बहुत हारे
अनेक बार जीते हैं।

कई सहायक मिले
विरोधी भी गरजे
हम आज ही में जीते हैं।

कहें दीपकबापू स्मरण शक्ति
हमेशा बुरी नहीं होती
समझदार वही कहलाते
बुरे दृश्य भूल जायें
बेहतर पूंजी के साथ
हर पल जीते हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak  'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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Monday, December 21, 2015

उन्मुक्त भाव-हिन्दी कविता(UnmuktBhav-HIndi Kavita)

राजा स्वयं को राजा
इसलिये समझे
क्योंकि प्रजा स्वयं को
प्रजा  समझे

साहुकार स्वयं को धनी
इसलिये समझे
क्योंकि गरीब स्वयं को
मजबूर समझे।

कहें दीपकबापू सोच से
रिहाई जरूरी है
उन्मुक्त भाव से जीने की
आदत हो जाये
तभी कोई जिंदगी समझे।
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Friday, December 11, 2015

हमख्याल-हिन्दी कविता(HamKhyal-Hindi Kavita)

खुशी के मौके पर
दिल बहलाने के लिये
पंडालों में जायें।

जब न मिले हमख्याल
दिमाग कहता अच्छा है
पेट में पकवान सजायें।

कहें दीपकबापू मधुर संगीत से
कर्ण कहां आनंदित होते
जब हाथ जाम थामे हो
साथ तश्तरी में काजू आयें।
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Thursday, December 3, 2015

हमें खोना मना है-हिन्दी शायरी (Hamen Khona Mana hai-Hindi Shayari

घर का भंडार भरा
फिर भी मुख के लिये
खाना मना है।

पांव जमीन पर नहीं चलते
स्वच्छ हाथ कभी नहीं मलते
फिर भी सोना मना है।

कहें दीपकबापू सपने देखे
बरसों तक जिन्होंने
महल बनाने के
पहुंचे जब रहने
पीड़ाओं ने कह दिया
हमें खोना मना है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
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