हम तो कई बार टूटे और बिखरे
मगर आकाश के मालिक ने
फिर ज़मीन पर खड़ा कर दिया
उसकी कृपा पर
अपनी ज़िंदगी के सारे आसरे
बस यूं ही पार लगाएँगे।
कहें दीपक बापू
तुम अपनी फिक्र करो
अपने आसरे जिन कंधों पर
तुमने टिकाये हैं
सांसें चलना वह तुम्हारी बंद कर देंगे
मगर कब्र तक साथ नहीं आएंगे।
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.शब्दयोग सारथी पत्रिका
५.हिन्दी एक्सप्रेस पत्रिका
६.अमृत सन्देश पत्रिका
मगर आकाश के मालिक ने
फिर ज़मीन पर खड़ा कर दिया
उसकी कृपा पर
अपनी ज़िंदगी के सारे आसरे
बस यूं ही पार लगाएँगे।
कहें दीपक बापू
तुम अपनी फिक्र करो
अपने आसरे जिन कंधों पर
तुमने टिकाये हैं
सांसें चलना वह तुम्हारी बंद कर देंगे
मगर कब्र तक साथ नहीं आएंगे।
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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