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Saturday, May 8, 2010

दर्द और इलाज-हिन्दी व्यंग्य कवितायें (dard aur ilaj-hindi shayari)

जिन मुद्दों पर निष्कर्ष न निकले
बहस उन्हीं पर करवाई जाती है।
निरंतर चलती रहे शब्दों की जंग,
खून के धब्बों में ढूंढते आदर्श के रंग,
समस्याओं के खत्म होने की सोचते नहीं
जहां हल न निकले, चर्चाकार खड़े हैं वहीं,
काली स्याही से कागज भरते रहें,
इलाज से अधिक दर्द की बात कहें,
कहीं नाश्ते के लिये
तो कहीं शराब के लिये
बहसें लंबी चलायी जाती हैं।
---------
दर्द पर बयां करना आसान है,
इलाज ढूंढने में दिमाग का तेल निकल जाता है।
इसलिये ही दर्दनाक मुद्दों पर
बहस होती है,
बोलने के फन में माहिर लोगों की
आंखें आंसु बहाती रोती हैं,
जिंदा लोगों से वह फेरते आंखें
मरे इंसान के लिये संवेदनायें जताते
क्योंकि वह दवा मांगने नहीं आता है।
--------------

कवि लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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