(1)
वह राक्षस
देवता का चेहरा
लगा रहा है।
(2)
लुटेरा दिल
जज़्बात का धंधा
सजा रहा है।
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(1)
साफ वस्त्र
पहन घूम रहे
दिल काले हैं।
(2)
दान लूटा है
जमाने में अंधेरे
वही पाले हैं।
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संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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