देश में तरक्की बहुत हो गयी है
यह सभी कहेंगे,
मगर सड़कें संकरी है
कारें बहुत हैं
इसलिये हादसे होते रहेंगे,
रुपया बहुत फैला है बाज़ार में
मगर दौलत वाले कम हैं,
इसलिये लूटने वाले भी
उनका बोझ हल्का कर
स्वयं ढोते रहेंगे।
कहें दीपक बापू
टूटता नहीं तिलस्म कभी माया का,
पत्थर पर पांव रखकर
उस सोने का पीछा करते हैं लोग
जो न कभी दिल भरता
न काम करता कोई काया का,
फरिश्ते पी गये सारा अमृत
इंसानों ने शराब को संस्कार बना लिया,
अपनी जिदगी से बेजार हो गये लोगों ने
मनोरंजन के लिये
सर्वशक्तिमान की आराधना को
खाली समय
पढ़ने का किस्सा बना लिया,
बदहवास और मदहोश लोग
आकाश में उड़ने की चाहत लिये
जमीन पर यूं ही गिरते रहेंगे।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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