नित्य स्वांग कर इंसानों की भीड़ लगाकर उन्हें भेड़ की
तरह हांको,
खबरों में बनने के लिये पत्थरों को किसी दीवार पर फैंक
कर टांको।
भलाई करने की बात करना सरल पर कठिन है करना,
कोई काम न कर
सकों बहाओ आश्वासनों का झरना,
हल्दी लगे न फिटकरी चीखने से चेहरे का रंग चोखा आयेगा,
लोगों के सामने पर्दे से जो शख्स दूर रहेगा प्रचार में धोखा खायेगा,
इंसान की चाल और चरित्र में जोरदार सनसनी होना चाहिये,
कैमर रहेगा हमेशा पीछे इसलिये माहौन में तनातनी बनाईये,
कहें दीपक बापू बैचैनी से बचना हो तो आंखें और कान बंद
कर लो,
दिल बहलाने के लिये घर के अंदर बाहर होते झगड़ों में न
झांको।
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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