स्वर्ग और नरक इस धरती पर ही यहीं कहीं है,
कहीं आम इंसान बसते तो राक्षसों के महल भी यहीं है।
कहें दीपक बापू इंसानों में नहीं मिलता देवत्व
काली करतूत को रोकना इसलिये संभव नहीं है।
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बेबसों पर ताकत आजमाते वह दबंग हो
नहीं सकते,
खाते मछलियां मगरमच्छ समंदर के वह
राजा हो नहीं सकते।
कहें दीपक बापू सभी इंसान बन गये थलचर
स्वार्थ के सिद्ध हैं बेबसों के देवता हो नहीं सकते।
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बेबसों के आंसूओं पर सभी हमदर्दी जताते हैं,
भूल जाते फिर सभी अपने काम में लग जाते हैं।
कहें दीपक बापू मजबूरों के दर्द पर चल रहा धंधा
हमदर्द की छवि बनाकर लोग कामयाबी पा जाते हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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