पराये मसले पर लोग जमकर बोलते हैं,
अपना राज खुल जाये तो मुंह नहीं खोलते हैं।
कहें दीपक बापू अपनी छवि बनाने के लिये
दूसरों पर कीचड़ उछालना गुणहीन
लोगोें की मजबूरी हैं,
अपनी पर लगे दाग छिपाने के लिये वह यूं ही डोलते हैं।
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गैरों के दर्द पर जो लोग हंसते हैं,
खून के आंसु रोते जब जाल में खुद फंसते हैं।
कहें दीपक बापू कमजोर का जो उड़ाते मजाक
ताकतवर इंसान की बेशरम अदाओं पर भी
अपनी आंखें नीचे कर जमीन में धंसते हैं।
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किसी के दर्द भी हंसकर लोग दिल बहलाते हैं,
कसते हैं फब्तियां बुद्धिमान स्वयं को कहलाते हैं,
कहें दीपक बापू कामयाबी हज़म करना भी सरल नहीं
चढ़ जाता जिस पर दौलत और शौहरत का नशा
बदजुबानी से ज़माने का दिल बहलाते
हैं
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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