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Friday, December 11, 2015

हमख्याल-हिन्दी कविता(HamKhyal-Hindi Kavita)

खुशी के मौके पर
दिल बहलाने के लिये
पंडालों में जायें।

जब न मिले हमख्याल
दिमाग कहता अच्छा है
पेट में पकवान सजायें।

कहें दीपकबापू मधुर संगीत से
कर्ण कहां आनंदित होते
जब हाथ जाम थामे हो
साथ तश्तरी में काजू आयें।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak  'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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