दो ही प्रकार के लोग नहीं उकताते
एक होते अजीज दोस्त
दूसरे चमचे कहलाते
अजीज तो दिल की
धड़कनों में बसते हैं
उनसे दूरी बहुत सताती है
पर चमचे जब तक मिलता माल है
तभी तक अपने घर के चक्कर लगाते
कभी कभी कर तारीफों के ऐसे पुल भी
बांध जाते हैं
जिससे सुनकर अपने दोस्त भी शरमा जाते
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कवि एंव संपादक-दीपक भारतदीप
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