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Friday, January 8, 2010

संवेदनायें मौन हैं-हिन्दी शायरी (sanvednaen-hindi shayri)

अपने अपने शिखर

सभी ने बना लिये

जमीन पर चलता कौन है,

बोल रहे हैं सभी अपनी जुबान से बेकार शब्द

पर सभी के अर्थ मौन हैं।



ऊंचाई पर बैठे हैं जो लोग,

अनदेखा करने का सभी को है रोग,

किसी ने दौलत पर चढ़कर

अपना आशियाना सजाया,

किसी ने शौहरत को मुकाम बनाया,

दिखा रहे हैं सभी एक दूसरे को ताकत

पर अनुभूति करता कौन है,

सभी की संवेदनायें मौन हैं।

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टूट कर बिखरने से पहले

जो जिंदगी से लड़े हैं,

इतिहास में उनके ही नाम

वीरों की पंक्ति में खड़े हैं।

मतलब की जिंदगी जीने वाले

चमकते हैं खूब, हीरे की तरह

जब तक ताज में जड़े हैं,

गिरे है जमीन पर जब

पत्थरों की तरह पड़े हैं।

कवि लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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