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Wednesday, January 13, 2010

वफा और यकीन बेचने आते हैं-हिन्दी शायरी (vafa aur yakin ka sauda-hindi shayri)

गरीब और भूखे के लिये

रोटी एक सपना होती है,

मगर भरे हैं जिनके पेट

भूख भी भूत बनकर

उनके पीछे होती है।

इंसान की जिंदगी

कुछ सपने देखती

कुछ डरों के साथ बीत रही होती है।

.......................



चाहे इंसान कितने भी

बड़े हो जायें

फरिश्ते नहीं बन पाते हैं।

यकीन बेचने वाले

अपने अंदाज-ए-बयां से

चाहे दिलासा दिलायें

यकीन नहीं करना

सर्वशक्तिमान बनने के लिये

सभी मुखौटा लगाकर आते हैं।

काला हो या गोरा

जो चेहरे पर मुस्कराहट ओढ़े हैं

वही वफा और यकीन बेचने आते हैं।


कवि लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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