‘‘हमारे देश पर प्रकृति की
बहुत बड़ी कृपा है,
यहां बरसात भी होती समय पर
तो सूरज भी तपा है,
एक तरफ हिमालय देता है पहरा,
तीन तरफ हिमालाय बांधे है सहरा,
सुरक्षा है चारों तरफ
इसलिये हमेशा ही यहाँ जन जन ने
भगवान का नाप जपा है।’’
सुनकर एक बालक बोला,
‘‘मगर मास्टर जी
मेरे दादाजी, पिताजी से कह रहे थे
कि 'पहले तो होते थे देश में घोटाले
पर अब तो चारों तरफ उनमें फंसा है,
देखो,
जो करते हैं नैतिकता की बात कलमकार
वही रोते हैं भ्रष्टाचार पर
हम जैसे आम लोग उनके
शब्दों से नहीं दलाली के काम पर खफा हैं,
देश में बढ़ गया है पाप, चारों तरफ
तभी तक कोई आदमी ईमानदार दिखाई देता
जब तक घोटालों में नहीं नपा है,।"
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कवि लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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