चोर पहुंचा और एक हजार का नोट
हाथ में देते हुए बोला
‘‘महाराज,
मेरा हाथ देकर बताओ
कौनसा धंधा करूं, यह समझाओ,
चोरी या जेब काटने का,
दिन बुरे चल रहे हैं
कब आ जाये दिन धूल चाटने का,
अनेक जगह सोने की चोरी की
पता चला सभी जगह नकली मिला माल,
खाली जा रहा है पूरा साल,
आपको देखा तो
भविष्य पूछने के लिये
एक हजार का नोट किसी की जेब काटकर आया,
किसी का धन चुरा सकते हैं
पर अक्ल नहीं
अब यह आपका काम देखकर समझ पाया।’’
ज्योतिषी ने नोट को घुमा फिराकर देखा
फिर उसे वापस थमाते हुए कहा
‘‘बेटा,
तुम्हारा हाथ देखने की जरूरत नहीं,
जन्मपत्री भी मत दिखाना कहीं,
तुम्हारी किस्मत अब साथ छोड़ रही है
असलियत की तरफ मोड़ रही है,
यह नोट भी नकली है,
पर जिंदगी तुम्हारी असली है,
इससे अच्छा है तुम कहीं
ठेला चलाने का धंधा प्रारंभ करो,
न अब बुरे कर्म का दंभ भरो,
रकम छोटी आयेगी,
पर सच को साथ लायेगी,
अब तुम जाओ,
अभी तक लोगों से लिया पैसा
पर तुम्हें मुफ्त में भविष्य बताया।
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हाथ में देते हुए बोला
‘‘महाराज,
मेरा हाथ देकर बताओ
कौनसा धंधा करूं, यह समझाओ,
चोरी या जेब काटने का,
दिन बुरे चल रहे हैं
कब आ जाये दिन धूल चाटने का,
अनेक जगह सोने की चोरी की
पता चला सभी जगह नकली मिला माल,
खाली जा रहा है पूरा साल,
आपको देखा तो
भविष्य पूछने के लिये
एक हजार का नोट किसी की जेब काटकर आया,
किसी का धन चुरा सकते हैं
पर अक्ल नहीं
अब यह आपका काम देखकर समझ पाया।’’
ज्योतिषी ने नोट को घुमा फिराकर देखा
फिर उसे वापस थमाते हुए कहा
‘‘बेटा,
तुम्हारा हाथ देखने की जरूरत नहीं,
जन्मपत्री भी मत दिखाना कहीं,
तुम्हारी किस्मत अब साथ छोड़ रही है
असलियत की तरफ मोड़ रही है,
यह नोट भी नकली है,
पर जिंदगी तुम्हारी असली है,
इससे अच्छा है तुम कहीं
ठेला चलाने का धंधा प्रारंभ करो,
न अब बुरे कर्म का दंभ भरो,
रकम छोटी आयेगी,
पर सच को साथ लायेगी,
अब तुम जाओ,
अभी तक लोगों से लिया पैसा
पर तुम्हें मुफ्त में भविष्य बताया।
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संकलक लेखक एवं संपादक-दीपक 'भारतदीप',ग्वालियर
Editor and writer-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
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