हुकूमत की इज्ज़त करे
हर खास और आम इंसान
यह ज़रूरी है,
कभी दुश्मन का
कभी लुटेरों का खौफ ज़िंदा रखें
बादशाहों की यह मजबूरी है।
कहें दीपक बापू
फरिश्तों और शैतानों में
सदियों से चलता रहा है
यह फिक्सिंग का खेल
छुरी से निकाले कोई
कहीं आदमी श्रद्धा से
निकलवाने पहुँच जाता
अपने खून से तेल,
नहीं जानता कोई
नर्क की स्वर्ग से कितनी दूरी है।
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शैतानों और फरिश्तों के बीच
दिखाने के लिए दुश्मनी का रिश्ता रहा है,
इधर जाये या उधर आसरा ले इंसान
लंबे बयानों में सभी का सोच पिसता रहा है।
कहें दीपक बापू
किसी ने बना लिया लुटेरों का गिरोह
किसी ने थाम लिया हुकूमत का चाबुक
दोनों एक दूसरे को ज़िंदा रखने को मजबूर
बेमतलब है यह सोचना कि
किसके बारे में क्या कहा है।
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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