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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका
हमदर्दी मांगना नहीं-हिन्दी कविता (Hamdardi Mangna nahin-Hindi Kavita)
दिल की बात
हम छिपायें
यह ख्याल आता है।
सुनायें चौराहे पर दर्द
ज़माना हंसता
हर कोई
मजाक का जाल लाता है।
कहें दीपकबापू जज़्बात से
जिंदगी जीना जरूर
देना हमदर्दी मांगना नहीं
दरियादिली हर कोई
अंदर नहीं पाल पाता है।
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