समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Wednesday, October 12, 2016

रामजन्मभूमि आंदोलन में जब ‘जयश्रीराम’ का नारा राजनीतिक पहचान बना था-हिन्दी संपादकीय (Than 'Jay Shri Ram' Sloger was a Imege for Politcical-Hindi Editorial)

                                     जब देश में रामजन्मभूमि आंदोलन चल रहा था तब ‘जयश्रीराम’ नारे का जिस तरह चुनावी राजनीतिकरण हुआ उसकी अनेक मिसालें हैं।  स्थिति यह थी कि कहीं अगर कहीं ‘जयश्रीराम’ का नारा मन में आ गया तो उसे जुबान पर लाने का विचार यह सोचकर छोड़ना पड़ता था कि कोई किसी राजनीति दल या सामाजिक संगठन  का न समझ ले। सही समय तो याद नहीं पर इसके राजनीतिककरण का अहसास हमें अपने ही कार्यालय में 25 से 28 वर्ष पूर्व अपने ही कार्यालय में हुआ था।  तब राजन्मभूमिआंदोलन ने राष्ट्रवादी समूह को एक तरफ तो दूसरी तरफ उनका सामना प्रगतिशील और जनवादी विचाकर निरपेक्ष समूह बनाकर संयुक्त कर रहे थे।  मजदूर तथा श्रमिक सघों में भी ऐसी ही वैचारिक विभाजन की  स्थिति थी।  अध्यात्मिकवादी होने के कारण हमारी निकटता राष्ट्रवादियों से ज्यादा रही है। समय पर काम भी यही आते रहे  सो उनसे लगाव रहा है जो अब भी है।  उसी समय  चुनाव भी चल रहे थे तब निरपेक्ष समूह ने एक दल के बड़े नेता को अपने यहां सभा करने बुलाया था।  उन नेता के आने से पहले ही हमारे एक राष्ट्रवादी मित्र ने वहां ‘जयश्रीराम’ का नारा लगा दिया।  वह राष्ट्रवादी मित्र वैसे सम्मानीय थे पर वहां निरपेक्ष समूह के ही उनके स्वाजातीय साथी ने सभी में खलल डालने का आरोप लगाकर उन पर हमला कर दिया।
             नेताजी की सभा तो हो गयी पर उसके बाद कार्यालय में इस विवाद की चर्चा खूब रही।  तब हमें पता लगा कि ‘जयश्रीराम’ का नारा अब केवल राष्ट्रवादियों  के लिये पंजीकृत हो गया है।  इसलिये कहीं अगर किसी का अभिवादन करते समय ‘जय राम जी’ की या ‘जयसियाराम’ कहते थे। हमारे अनेक मित्र सेवानिवृत हो गये हैं। उनके से अनेक फेसबुक पर हमारे साथी बने हैं।  इनमें से अधिकतर राष्ट्रवादी विचाराधारा के हैं इसलिये उन्हें तब अपने साथी से सहानुभूति हुई थी।  अगर वह इस पाठ को पढ़ें तो अनुभव करें कि कल लखनऊ की रामलीला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘जयश्रीराम’ का नारा लगाया तब निरपेक्ष समूह के हृदय पर छुरियां जैसी चल रही होंगी।  वैसे ही जैसे हमारे कार्यालय में आज से उस समय चली थी जब विवाद हुआ था।
---------

प्रधानमंत्री ने पहले भाषण में टेबल ठोकते हुए कहा था कि ‘हमारे देश के जवानों की कुर्बानी बेकार नहीं जायेगी।’
उन्होंने उसी भाषण में कहा था कि पाकिस्तान मुकाबला करना चाहता है तो गरीबी और बेकारी हटाने मेें करे।
दूसरी बात का सभी ने मजाक उड़ाया पर पहली पर कोई नहीं बोला। दो दिन बाद ही जब पहली बात का नतीजा सामने आया तो सारा विश्व स्तब्ध रह गया।

.....................

No comments:

यह रचनाएँ जरूर पढ़ें

Related Posts with Thumbnails

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

यह रचनाएँ जरूर पढ़ें

Related Posts with Thumbnails

विशिष्ट पत्रिकाएँ