यह अव्यवसायिक ब्लॉग/पत्रिका है तथा इसमें लेखक की मौलिक एवं स्वरचित रचनाएं प्रकाशित है. इन रचनाओं को अन्य कहीं प्रकाशन के लिए पूर्व अनुमति लेना जरूरी है. ब्लॉग लेखकों को यह ब्लॉग लिंक करने की अनुमति है पर अन्य व्यवसायिक प्रकाशनों को यहाँ प्रकाशित रचनाओं के लिए पूर्व सूचना देकर अनुमति लेना आवश्यक है. लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,ग्वालियर
समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-
पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका
Sunday, June 22, 2008
हमारी जिन्दगी में आये वह हवा बनकर-हिन्दी शायरी
हमारी जिंदगी में आये वह हवा बनकर
इसलिये छोड़ जायेंगे कभी
इसका तो अनुमान था
पर छोड़ जायेंगे अपने पीछे
एक बहुत बड़ा तूफान
हमारे लड़ने के लिये
इसका गुमान न था
आये थे तो वह आहिस्ता आहिस्ता
कदम अपने बढ़ाते हुए
अपनी कमर मटकाते हुए
हमें देख रहे थे आंखें नचाते हुए
कुछ पल के साथ में लगा कि
कि वह उम्र भर नहीं जायेंगे
सदा पास रह जायेंगे
पर अपना काम निकलते ही
जो उन्होंने अपना मूंह फेरा
जिंदगी घिर गयी झंझावतों में
जिसका कभी पूर्वानुमान न था
..................................................
दीपक भारतदीप
Labels:
abhivyakti,
hindi shayri,
kavita,
mastram,
sahitya,
कविता,
मस्तराम,
शब्द,
समाज,
साहित्य,
हास्य-व्यंग्य
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हिंदी मित्र पत्रिका
यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं।
लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर
लोकप्रिय पत्रिकायें
विशिष्ट पत्रिकाएँ
-
विशिष्ट व्यक्ति के पास रहने से आम से आप खास नहीं हो जाते-लघु व्यंग्य (you are not vip near stay with VIP-A hindi stire - 1. 2. विशिष्ट व्यक्ति के पास रहने से आम से आप खास नहीं हो जाते-लघु व्यंग्य --------------- पूरे जीवन में सुख दुःख के साथ...3 years ago
-
शब्द तो श्रृंगार रस से सजा है, अर्थ न हो उसमें क्या मजा है-दीपकबापूवाणी (Shabd to Shrangar ras se saja hai-DeepakBapuwani) - *बेपर इंसान परिदो जैसे उड़ना चाहें,दम नहीं फैलाते अपनी बाहे।कहें दीपकबापू भटकाव मन कापांव भटकते जाते अपनी राहें।---* *दीवाना बना ...5 years ago
-
शब्द अर्थ समझें नहीं अभद्र बोलते हैं-दीपकबापूवाणी (shabd arth samajhen nahin abhardra bolte hain-Deepakbapuwani) - *एकांत में तस्वीरों से ही दिल बहलायें, भीड़ में तस्वीर जैसा इंसान कहां पायें।* *‘दीपकबापू’ जीवन की चाल टेढ़ी कभी सपाट, राह दुर्गम भाग्य जो सुगम पायें।।* *---*...5 years ago
-
उम्र के साथ आधुनिक ज्ञानी बनने का शौक चढ़ ही जाता है-अध्यात्मिक चिंत्तन (A HindiArticle) - आज फेसबुक पर एक पुरानी ब्लॉगर का लेख पढ़ा। उनकी राय में सुख कभी बटोरा नहीं जा सकता। उसे पाने के लिये कसरत करनी पड़ती है। हम पिछल...5 years ago
-
नाकामों ने दरबार सुंदर तस्वीरों से सजाया-दीपकबापूवाणी (Nakamon ne Darbar sundar Tasweeron se sajaya-Deepakbapuwani) - *भलाई होती नहीं जंग के किस्से सुनाते, राजा भय से अपनी प्रीत के हिस्से भुनाते।* *‘दीपकबापू’ नाचे कभी नहीं आंगन टेढ़ा बताया, विज्ञापनों में श्रृंगार गीत गुनग...5 years ago
3 comments:
कुछ पल के साथ में लगा कि
कि वह उम्र भर नहीं जायेंगे
सदा पास रह जायेंगे
bhut khub.sundar rachana.likhate rhe.
जिंदगी घिर गयी झंझावतों में
जिसका कभी पूर्वानुमान न था
achcha likha hai
aap ki kavita jo meri rachna ke uttar mein thi-bhi bahut pasand aayee..dhnywaad :)
पर अपना काम निकलते ही
जो उन्होंने अपना मूंह फेरा
जिंदगी घिर गयी झंझावतों में
जिसका कभी पूर्वानुमान न था
--बहुत सही.
Post a Comment