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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Sunday, July 13, 2008

जिंदगी में असहज हो जाओगे-हिन्दी शायरी



जितना चाहोगे

उतना असहज हो जाओगे

दौड़ते हुए बहुत कुछ जुटा लोगे

अपने जीने का सामान

पर फिर उसका बोझ नहीं

उठा पाओगे

जिंदगी की गति चलती है

अपनी गति से

उसे ज्यादा तेज दौड़ने की कोशिश न करो

असहजता में जो पाया है

उसको भी नहीं भोग पाओगे
........................
दीपक भारतदीप

1 comment:

अबरार अहमद said...

जिंदगी की गति चलती है

अपनी गति से

उसे ज्यादा तेज दौड़ने की कोशिश न करो

असहजता में जो पाया है

उसको भी नहीं भोग पाओगे

बहुत बढिया।

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