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Wednesday, September 24, 2008

हादसे के बाद ही क्यों आते हैं मोहब्बत के पैगाम-व्यंग्य कविता

हादसों के बाद ही क्यों आते हैं
मोहब्बत के सभी जगह पैगाम
दिल में बसे अल्फाजों को
चाहे जब भेज दो
इंतजार का क्या काम

कहीं शैतानों की वारदात होते ही
फरिश्ते करने लगते हैं
अमन लाने का काम
एक हादसें का असर खत्म होते ही
फिर नजर नहीं आते
शायद दूसरे के इंतजार में सो जाते
और शैतान कर जाते अपना काम
वारदात से दे जाते फरिश्तों को
अपने करने का नाम

ढेर सारे मोहब्बत और अमन के संदेश और कहानियां
चलकर आ जाती हैं सामने
पढ़ने और देखने के लिये
वह वह पहले क्यों नहीं आती
जब होता है जहां में आम इंसान मोहब्बत और अमन लिये
हादसे से हैरान लोग
शैतानों के सुनते हैं नाम
शायद आम इंसानों के कान खुले देखकर
फरिश्ते लेकर पहुंचते हैं अपना मोहब्बत और अमन का पैगाम
वारदात की कटु ध्वनि का असर अभी खत्म नहीं होता
कि शोर के साथ आ जाता अमन का पैगाम

कहें महाकवि दीपक बापू
दायें तरफ दिखती शैतान की प्रेम दास्तान
बायें छपते फरिश्तों के अमन के बयान
दोनों के बीच कैसा है रिश्ता
फूल और कांटे जैसा दिखता
दुनियां बनाने वाले ने
फरिश्तों की परीक्षा के लिये
शैतान बनाया
या शैतान को कभी कभार फुरसत
देने के लिये
फरिश्तों को बनाया
हम तो ठहरे आम इंसान
यह कभी समझ में नहीं आया
एक तरफ हादसों का किनारा है
दूसरी तरफ अमन का नारा
बीच में खड़े सभी लोग
इधर देखते तो
उधर से आवाज आती
उधर देखते तो
इधर से हादसे की खबर आती
कहीं धमाकों की जोरदार आवाज
तो कही अमन की कहानियां
ऐसी जंग चलती दिख रही है
जिसका कब होगा अंजाम
जुबान होते हुए भी गूंगे
कान होते हुए भी बहरे
आंख होते हुए ही प्रकाश विहीन
हो गये है हम इंसान आम
...........................

दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका पर लिख गया यह पाठ मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसके कहीं अन्य प्रकाश की अनुमति नहीं है।
कवि एंव संपादक-दीपक भारतदीप

1 comment:

वीनस केसरी said...

एक अच्छी कविता पढ़वाने के लिए धन्यवाद
वीनस केसरी

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