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Sunday, September 6, 2009

काटना पर कुछ बोना नहीं- हास्य व्यंग्य कविताएँ (katana aur bona-hasya vyangya kavita)

काटना है पर कुछ बोना नहीं है
पाना है हर शय, कुछ खोना नहीं है।
पूरी जिंदगी का मजा जल्दी लेने के आदी लोग
आज कर, अभी कर की सोच के साथ
पल में प्रलय से इतना डरे हैं
कि खतरे देख नहीं पाते
क्योंकि अपनी ही जिंदगी उनको
ढोना नहीं है।
....................
आज के जमाने में शैतान भी
सजकर सामने आयेगा।
मनोरंजन में नयेपन की
चाहत में भाग रहे लोगों को
फरिश्ता नजर आयेगा।
इंसान की बढ़ती चाहत
अक्ल पर डाल देती है पर्दा
पीछे का सच किसे नहीं पता चल पायेगा।
..........................
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1 comment:

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

बहुत सुन्दर रचना.....बहुत-बहुत बधाई...

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