बाजार के सौदागरों के हाथ
लड्डू ही आते हैं,
क्योंकि कफन हो या लिबास
वही से लोग लाते हैं।
चीजों के साथ जज़्बात भी
कहीं मोल मिलते तो
कहीं किराये पर
इसलिये कृत्रिम मुस्कराहट बेचने वाले
आंसु भी बेचते नज़र आते हैं।
कवि लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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