फिर दूसरा बयान
कहीं शब्द भी युद्ध का रूप ले जाते हैं,
कहीं पत्थर भी एक दूसरे पर
उड़ाये जाते हैं,
कभी यह देश था वीर जवानों का
अब तो कुछ लोग बादलों की तरह गरज कर दिखाते हैं,
कुछ अपनों पर गुबार निकालकर
अपनी ताकत जताते हैं।
वीर और जवानों के नाम
बस, इतिहास में पाये जाते हैं।
----------
कवि लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
------------------------
दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका पर लिख गया यह पाठ मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसके कहीं अन्य प्रकाश की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका
No comments:
Post a Comment