खबर को खींचते रबड़ की तरह
उबाऊ बहसों के बीच
पर्दे पर सामानों के विज्ञापन
यूं ही चलाये जाते हैं,
शय खरीदने की सोचें
या करें हम
चिंत्तन यही भूल जाते हैं।
कहें दीपक बापू
बाज़ार के नये उत्पादों को बेचने के लिये
रोज नये नायक चाहिये,
प्रचार में उनके गीत बजवाने के लिये
नये गायक चाहिये,
सौदागर के कब्जे में है पूरा ज़माना,
जिनको आता है बस कमाना,
नित्य नये नये चेहरे रखते सामने
पैसे लेकर बुत करते उनका काम
कोई नाचकर
कोई गाकर
आम इंसानों की जेब
दिल बहलाते हुए खाली किये जाते हैं।
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak 'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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