करनी का राजमा नहीं, कथनी मेरू समान
कथता बकता मर गया, मूरख मूढ़ अजान
संत शिरोमणि कबीर दास जी कहते हैं कि जिस व्यक्ति की करनी मिटटी के समान भी नहीं है और कथनी पर्वत के समान ऊंची है वह अपनी पूरी जिन्दगी बकवाद करते हुए गुजार देता है। ऐसे बकवादी मनुष्य की बात पर ध्यान नहीं देना चाहिऐ।
जहाँ न जाको गुन लहैं, तहां न ताको ठाँव
धोबी बसके क्या करे, दीगंबर के गाँव
संत शिरोमणि कबीर दास जी कहते हैं कि जहाँ कोई अपने गुण का सम्मान करने वाला व्यक्ति न हो तो वहाँ जाकर रहने से कोई लाभ नहीं है। जहाँ निर्धन व्यक्ति रहते हैं वहाँ कोई कपडे की धुलाई करने वाला व्यक्ति कैसे अपना व्यवसाय कर सकता है। उसी प्रकार विद्वान, गुणीऔर ज्ञानी मनुष्य को मूर्खों की संगतनहीं करना चाहिऐ क्योकि वह उसका उपहास करेंगे।
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